Monday, November 16, 2015

बहुत याद आओगे सईद जाफ़री

आज बहुत अरसे बाद ऐसा हुआ है कि पूरी की पूरी रात करवटें बदलते बीत गयी, चाहते हुए भी नींद कोसों दूर है। रह रह के ज़ेहन में बस एक ही चेहरा घूम रहा है।
गोरा चिट्टा रंग, औसत क़द, चेहरे पे नवाबी नज़ाकत, रौबीली मूंछें, दिलकश मुस्कान और कलेजे को बेधती नज़रें......
संक्षेप में कमोबेश ऐसे ही नज़र आते थे सईद जाफ़री।

दोपहर में जब ख़बर आई कि इस सण्डे को लंदन में उनका इंतकाल हो गया । 86 बरस की उम्र में ।
86 बरस ....... क्या सचमुच इतने बड़े थे जाफ़री साहब, इतने उम्र दराज़........यकीं नहीं होता......

मन बड़ा चंचल है, पूरे वेग से दौड़ने लगा, उनके निभाए दर्जनों किरदार एक-एक करके गुज़रने लगेे सामने से, मन डूबने उतराने लगा उन किरदारों में.......

जहां तक मुझे याद है मैंने उनकी पहली फ़िल्म शतरंज के खिलाड़ी देखी थी  शायद 1981 में, संजीव कुमार से न केवल उनका शतरंज में मुक़ाबला था बल्कि नवाब के किरदार में भी था, और सब जानते हैं कि सईद कहीं से भी कमतर नहीं उतरे.......नवाबी क्या होती है लोगों ने उनसे जाना

उसके बाद अगले साल 82 में गुलज़ार साहब सईद को  लेकर आए मासूम में, इस बार मुक़ाबिल थे, नसीरुद्दीन शाह, सईद का रोल छोटा था पर छाप बड़ी छोड़ी उन्होंने । हुज़ूर इस क़दर भी न इतरा के चलिये.....गीत में उनका खुलेआम आंचल लहराना कौन भूल सकता है।

वैसे बीबीसी के एक अंग्रेज़ी सीरियल ने उन्हें ब्रिटेन में तो सन 1975 में ही मशहूर कर दिया था पर 82 में रिलीज़ सर रिचर्ड एटनबरो की फ़िल्म गाँधी में सईद जाफ़री के निभाए सरदार पटेल के चरित्र ने विश्व पटल पर उन्हें एक अलग पहचान दिलाई।

इसके बाद तो सईद जाफ़री के पास फिल्मों की लाइन सी लग गई, जाने भी दो यारों, चश्मेबद्दूर, दिल, राम तेरी गंगा मैली आदि-आदि । इनमें चश्मेबद्दूर के पान वाले मियां और राम तेरी गंगा मैली में कुंज बिहारी मौसा बन कर सईद जाफ़री लोगों के दिलों में छा गए थे।

सईद जाफ़री जितने बड़े अभिनेता थे उतने ही डाउन टु अर्थ इंसान.....

मुझे ठीक से याद है कि बरगद की शूटिंग के दौरान क़रीब एक महीने तक इलाहाबाद में शूटिंग चली , पंकज कपूर, हरीश पटेल और न जाने कौन-कौन छोटे-बड़े कलाकारों के साथ सईद भी इलाहाबाद के यात्रिक होटल में रुके थे, शूटिंग के लिए वो कई बार कार का इंतज़ार न करते बल्कि एक महिला कलाकार के साथ रिक्शे पर बैठ कर निकल जाते ।

ऐसे में मैंने उन्हें जब रिक्शे पर बैठा देखा तो हनुमान मंदिर से म्योर कॉलेज परिसर तक अपनी साइकिल से उनके साथ गया और उनसे ऑटोग्राफ़ मांगा तो इशारे से उन्होंने चलते रहने को कहा और म्योर कॉलेज पहुँच कर नाम पूछ कर मुझे ऑटोग्राफ़ दिया।

मैं उस समय दंग रह गया जब रिक्शे वाले को सईद ने पचास का नोट दिया तो वो बोला कि साहब फुटकर नाहीं बा, उसके कंधे पर हाथ रखते हुए ठेठ इलाहाबादी अंदाज़ में वो बोले- अमां रहै देओ, और आगे बढ़ गये।

ये मुझे बाद में पता चला कि सईद जाफ़री ने अपनी बी०ए० और एम०ए० की डिग्री इतिहास में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लेकर टॉप किया था, पर इसकी पुष्टि नहीं है ।

सईद जाफ़री अब इस दुनिया में नहीं हैं पर दुनिया भर में फैले अपने फैंस के दिलों में हमेशा छाए रहेंगे, राज करते रहेंगे......

RIP सईद जाफ़री

Monday, March 8, 2010

मेरी माँ : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष

Maa ke qadmoon taley jannat hai...
Maa ki mohabbat phool se ziyada taro-taza aur lateef hai....
Maa aik phool hai jo duniya ke kantey chubhney ke bavjood muskurata hai....
Maa ke baghair ghar soona soona lagta hai....
Maa ki aaghosh insaan ki pehli dars gah hai......
Maa zindagi ki tareek rahoon main roshni ka minaar hai....
Maa ki nafarmani karna kabirah gunahoon main sab se bara gunah hai,.....
Maa ki bad-dua se baho kiyu k khuda aur us ke darmiyan koi pardah nahi hota.....
Maa ko mosibat ke waqt jab bhi yaad karta hon to mujhe sakoon milta hai......
Maa se barh ker koi bara ustaad nahi....
Maa aik kitaab ki manind hai.....
Maa insanoon main sab se ziyada pyar karney wali hasti hai....
Maa ki nafarmani karney wala jannat main dakhil nahi hoga......
Maa aik aisa darakht hai jis ka saya zindagi ki thakan door karta hai......
Maa ki dua kamyabi ka raaz hai....
Maa duniya ki aziz tareen hasti hai.....
Maa ki khushnodi duniya main ba-is-e-rehmat aur akhrat main ba-is-e-nijat hai....
Maa ko gaali dena sab se bara gunah hai.....
Maa ka saya thandi cha-oun hai....
Maa dukhoon ka madawa hai....
Maa ke baghair kainat na mukammal hai.........

Wednesday, December 30, 2009

WHY STUDENT FAIL

WHY STUDENT FAIL: Sundays-52 in a year,Days left 313

Summer holidays 50,Days left 263

8 hrs daily sleep-130 days Gone, Days left 141

1 hr daily playing means 15 days,Days left 126

2 hrs daily for eating means 30 days.Days left 96,

1 hr talking means 15 days,Days left 81

Exams days 35 days,Days left 46

Eid & Gov holidays 20, Days left 26

Movies,TV at least 25 days,Days left 1

That 1 day is your BIRTHDAY.

Hun banda SAALGIRAH waly din bhi parhe kya?

Sunday, August 16, 2009

इस १५ अगस्त पर

Hamesha Ki tarah is 15 August par badey utsaah ke saath utha nitya karm se nivritta hokar TV ke samney baith gaya TV pe sadhi chaal se chal rahey NSG commandos ko dekh achcha laga par unhi ke saath thaki chaal me chal rahey Pradhaan Mantri Dr Manmohan Singh ki chaal ko dekh niraasha hui
socha shaayad kuch badhiya bolenge par thodi der me hi samajh me aa gaya ki wo as a PM nahi balki ek Congresi neta ki tarah bol rahey hain tamam na purey karne wale vaadey aur saikdon hawai ghoshnaayein thodi der me man ukta gaya so TV band kar diya.
Bahar paani badi tez gati se baras raha tha jaise varun devta kisano ki badhali pe aanso baha kar barsat ki rasm adaygi kar rahey hon.
Thodi der intezaar ke baad pani ruka to ghar se nikla ki chalo kahin ka jhanda rohan dekh aayein
so police line gaya wahan par Tiranga shaan se lahra raha tha vikas bhawan, DM's Office, High-Court, Nagar Nigam me bhi jhanda rohan ho chuka tha.
Main dheemi gati se Motorcycle chalte hue Allahabad University ki ore chal pada .....

Tabhi achanak 3 Motorcycle par 9 schooli bachche nahi kishore kahun to behtar rahega school uniform mein kafi tez gati se pressure horn bajate hue bagal se nikle wo khoob zor se aapas me galian bakte jaa rahey they
5-6 ne apney muh pe cigarette dabayi thi aur dhuvaan udate ek dusarey se cigarette share kar rahey they maine apni speed badhai aur ek se pucha ki bhai kis class aur school ke students ho usne kaha 9 and 10 aur fir ek reputed Public School ka naam lekar ek kush kheench kar dhuan udayaa aur agle hi pal speed badha li...
next crossing par 2 Traffic ke jawan badi mustaidi se ek truck waley se no entry me aaney ki fees vasool rahey they...
Kuch chote bachchey Plastic ke Jhande bech rahey they kahin padha tha ki plastic ke jhandey ka bahishkar par unki umra dekh kar 2 kharid liye 1 tri colour cap bhi aur laga ke University pahunch gaya
10 baje VC saheb ne Tiranga fahraya aur NCC cadets ki salami li unke bhashan se zyada interesting mere peeche khade teachers ke comments they jinki taarif aur kalyan ki kai baat VC mahodaya kar rahey they ... Tabhi ek ek kar ke VC ke swagat me salami deney khade 3 NCC cadets aur 1 security guard gir padey ... pata chala ki garmi lag rahi thi ye bhi suna ki jooton ki naap sahi nahi thi ..
Shaam ko Allahabad Press Club (Allahabad News Reporters Club se ye naam kab aur kyon badla pata nahi) dwara aayojit Pahal programme me pahuncha ..
Wahan Police, Prashasan aur kai parties ke neta sab pahunche hue they IG,DIG, DM,COs 2 MP 1 Mantri, 2 MLA aur unke darzaon chamchey .. Patrakaron me saath me photo khichane ki hod thi
iske baad har saal ki tarah kai ne kafi besura gayan jhilaya par taaliyan batorien ..
Wahin ek ore Khana-peena chal raha tha aur peeche ke kamrey mein kewal PEENA..
Thodi der is peeney ka asar hua aur fir aadhi raat tak saarey patrakar mitron ne jam kar dance kiya aur stage tod dance kiya .. kai to lad ke apne ghar pahunche...
hall ke koney me lahi Bapu ki photo tangi akeli tanha aur udaas...
Main ghar aakar so gaya.

Tuesday, August 11, 2009

भगदड़ क्यूँ मची है... दाल में कुछ काला है!

क्या स्वाइन फ्लू सच में इतना खतरनाक है जितना मीडिया में प्रोजेक्ट किया जा रहा है? चाहे प्रिन्ट हो या इलेक्ट्रॉनिक, स्वाइन फ्लू ही छाया हुआ है। अब तक कुल सात मौतें हुई हैं और करीब सात सौ मामले रिपोर्ट किये गये हैं। मैं ये नहीं कहता कि ये कोई मामूली बिमारी है, जिसे हल्के में लेना चाहिए। इलाज़ ज़रूर हो और प्रॉपर ढंग से हो, पर यूँ ‘पैनिक’ क्रिएट करना कितना उचित है?

मुझे आशंका है कि कहीं ये किसी मल्टी-नेशनल कम्पनी के किसी प्रॉडक्ट को बेंचने की चाल तो नहीं...! कोई कॉन्सपिरेसी तो नहीं...! तभी WHO द्वारा आनन-फानन में ‘एड्‌वाइस’ भी जारी कर दी गयी कि ये महामारी (epidemic) है। ‘टेमीफ्लू’ नामक दवा की शॉर्टेज है। स्वास्थ्य मन्त्री लगातार विवादास्पद बयान दे रहे हैं। कभी रिदा शेख को जिम्मेदार ठहराते हैं, तो कभी अपने बयान से मुकर कर माफी माँगते हैं।

ज़रा दिमाग पे ज़ोर डालें तो हर साल अकेले ईस्टर्न यू.पी. में दिमागी बुखार (इन्सेफ्लाईटिस) से सात-आठ सौ लोग मर जाते हैं, लेकिन इसका कोई पैनिक नहीं होता, कोई सलाह (advisory) जारी नहीं होती।

क्यों भला? इसमें ग्लैमर नहीं है। आम आदमी के मौत के क्या मायने? मरता है तो मरे...। न टीवी पर कोई खबर आती है, न संसद में ही कोई चर्चा होती है। यही कहानी साल दर साल दुहरायी जाती है। और न जाने कबतक दुहरायी जाती रहेगी।...!

और हाँ, स्वाइन फ्लू का इलाज बाबा रामदेव ने बताया है- प्राणायाम, कपालभाती, भस्त्रिका। दवा भी उन्होंने बतायी है- “गिलोये” और “तुलसी”, जो सब जगह उपलब्ध है।

पर इसकी चर्चा कम है क्योंकि इसमें MNCs का फायदा नहीं है। सरकारी तन्त्र का फायदा नहीं है।

सो, जबतक ऐसा एट्टीट्यूड नहीं बदलेगा, हम यूँ ही स्वाइन फ्लू जैसे पैनिक झेलते रहेंगे।


Wednesday, October 29, 2008

मुंबई में १५ दिन

करीब ६ बरस बाद बॉम्बे उर्फ़ मुम्बई आया क्या सोचकर ये थोड़ा पर्सनल है
इसलिए सार्वजनिक नही करूँगा ।
पर मुम्बई थोड़ा बदल गई है शायद या
यहाँ के लोग बदल गए हैं या शायद नेता बदल गए हैं
हाँ नेता ही हैं
तभी तो लगभग रोज़ उत्तर भारतीयों पर हमले हो रहे हैं
अभी तक मनसे के कार्यकर्ता थे जो हमले कर या करवा रहे थे
अब ये काम पुलिस कर रही है
पहले रेलवे की परीक्षा में ६००० छात्रों को बैठने न देना
फ़िर बिहार के एक कथित गुंडे राहुल राज का दिनदहाडे एनकाउंटर और
अब सीट पर बैठने मामूली बात पर Gorakhpur के Dharmveer rai की पीट पीट कर हत्या
क्या हो गया है मुम्बई को
तिलक बाबा sahab और savarkar की इस karm भूमि को
राज Thakrey और parkaron ने अपनी property bana dala है
न सरकार का डर है न kanoon का जो चाह रहे हैं वो ही कर रहे हैं
baki सब asahay से खड़े देख रहे हैं
baki पार्टी वाले kori bayaan bazi कर रहे हैं
यह सोच के भी kaleja muh को आता है की अगर इसके बदले में उत्तर भारतीयों ने कही marthi bhashiyon को bhagana शुरू किया और अन्य राज्यों से bahri लोगों के साथ यही bartav हुआ तो
इस mulk का एक और vibhajan tai है
सो please मुम्बई को इस देश को bacahaiye

Monday, September 15, 2008

सर्वे भवन्तु सुखिनः ...

मान और अपमान हमें, सब दौर लगे पागलपन के
कांटे फूल मिले जितने भी, स्वीकारे पूरे मन से
इस दुनिया में कोई न रहा, सब नामी और अनाम गए
पता नहीं सब कहां गए, कुछ सुबह गए कुछ शाम गए...


आज ये पढ़ा अच्छा लगा सो आप तक भेज रहा हूँ
उम्मीद है कि पसंद आएगा

Thursday, August 28, 2008

बेशर्मी की इंतिहा

ये तो parakshtha है कितनी आराम से शिबू सोरेन झारखण्ड के सीएम फ़िर बन गए कल तक अड़े हुए मधु कौडा दिल्ली तलब हुए और बिना किसी विरोध के इस्तीफा देकर गुरु जी के लिए रास्ता खाली कर गए । पर क्यों हुआ ऐसा सोचना पड़ेगा ? क्या जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का कोई मतलब नही है ?
सब कुछ हाई कमांड के इशारे पर फिर इस ढकोसले इस फार्श का मतलब ?
लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा है यदि इसका डट कर विरोध नहीं हुआ तो ऐसे तमाचे हमें अक्सर लगेंगे और हम अपने गाल ही सहलाते रहेंगे और ये नेता लोकतंत्र के नाम पर अपना हुक्म अपना सिक्का चलाते रहेंगे

Monday, August 4, 2008

हाय दोस्त क्या हाल है?

ज़बरदस्त होड़ लगी थी कि भारत व श्री लंका में कौन जीतेगा

मन था कि भारत जीते डर था कि कहीं श्रीलंका न जीत जाए

पर ख़ैर भारत जीता और बड़े चौचक तरीक़े से

मज़ा आय गवा रजा