Wednesday, October 29, 2008

मुंबई में १५ दिन

करीब ६ बरस बाद बॉम्बे उर्फ़ मुम्बई आया क्या सोचकर ये थोड़ा पर्सनल है
इसलिए सार्वजनिक नही करूँगा ।
पर मुम्बई थोड़ा बदल गई है शायद या
यहाँ के लोग बदल गए हैं या शायद नेता बदल गए हैं
हाँ नेता ही हैं
तभी तो लगभग रोज़ उत्तर भारतीयों पर हमले हो रहे हैं
अभी तक मनसे के कार्यकर्ता थे जो हमले कर या करवा रहे थे
अब ये काम पुलिस कर रही है
पहले रेलवे की परीक्षा में ६००० छात्रों को बैठने न देना
फ़िर बिहार के एक कथित गुंडे राहुल राज का दिनदहाडे एनकाउंटर और
अब सीट पर बैठने मामूली बात पर Gorakhpur के Dharmveer rai की पीट पीट कर हत्या
क्या हो गया है मुम्बई को
तिलक बाबा sahab और savarkar की इस karm भूमि को
राज Thakrey और parkaron ने अपनी property bana dala है
न सरकार का डर है न kanoon का जो चाह रहे हैं वो ही कर रहे हैं
baki सब asahay से खड़े देख रहे हैं
baki पार्टी वाले kori bayaan bazi कर रहे हैं
यह सोच के भी kaleja muh को आता है की अगर इसके बदले में उत्तर भारतीयों ने कही marthi bhashiyon को bhagana शुरू किया और अन्य राज्यों से bahri लोगों के साथ यही bartav हुआ तो
इस mulk का एक और vibhajan tai है
सो please मुम्बई को इस देश को bacahaiye

Monday, September 15, 2008

सर्वे भवन्तु सुखिनः ...

मान और अपमान हमें, सब दौर लगे पागलपन के
कांटे फूल मिले जितने भी, स्वीकारे पूरे मन से
इस दुनिया में कोई न रहा, सब नामी और अनाम गए
पता नहीं सब कहां गए, कुछ सुबह गए कुछ शाम गए...


आज ये पढ़ा अच्छा लगा सो आप तक भेज रहा हूँ
उम्मीद है कि पसंद आएगा

Thursday, August 28, 2008

बेशर्मी की इंतिहा

ये तो parakshtha है कितनी आराम से शिबू सोरेन झारखण्ड के सीएम फ़िर बन गए कल तक अड़े हुए मधु कौडा दिल्ली तलब हुए और बिना किसी विरोध के इस्तीफा देकर गुरु जी के लिए रास्ता खाली कर गए । पर क्यों हुआ ऐसा सोचना पड़ेगा ? क्या जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का कोई मतलब नही है ?
सब कुछ हाई कमांड के इशारे पर फिर इस ढकोसले इस फार्श का मतलब ?
लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा है यदि इसका डट कर विरोध नहीं हुआ तो ऐसे तमाचे हमें अक्सर लगेंगे और हम अपने गाल ही सहलाते रहेंगे और ये नेता लोकतंत्र के नाम पर अपना हुक्म अपना सिक्का चलाते रहेंगे

Monday, August 4, 2008

हाय दोस्त क्या हाल है?

ज़बरदस्त होड़ लगी थी कि भारत व श्री लंका में कौन जीतेगा

मन था कि भारत जीते डर था कि कहीं श्रीलंका न जीत जाए

पर ख़ैर भारत जीता और बड़े चौचक तरीक़े से

मज़ा आय गवा रजा

Thursday, July 10, 2008

bus yun hi likh mara

hi
this is my first ever blog writing attempt
i m not sure how long will it work but it seems interesting
is'nt it?

arey jab amitabh, aamir likh sakte hain to main kyon nahi?

after all i too am indian like them
or as any one else.....

ab aur kya likhun ?
rest next time
but suggestions and opinions are always welcome
so c me again